लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को गांव ढुडीके (अब जिला मोगा) में श्री राधा कृष्ण तथा गुलाब देवी के घर हुआ। राधा कृष्ण एक प्राइमरी स्कूल में अध्यापक थे। मैट्रिक तक की शिक्षा पूरी करने के बाद लाला जी गवर्नमैंट कालेज लाहौर में दाखिल हुए। इस कालेज में लाला जी की मित्रता हंस राज तथा गुरु दत्त से हुई जो डी.ए.वी. संस्थानों की स्थापना में उनके सहयोगी थे। मुख्तियारी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद लाला जी ने जगराओं में विधि व्यवसाय शुरू कर दिया। कुछ वर्ष बाद वह हिसार चले गए। विधि व्यवसाय के साथ-साथ ही वह नगर के कल्याण कार्यों में भी भाग लेते थे। इसी दौरान उन्हें हिसार नगर निगम का सदस्य चुन लिया गया। लाला जी एक अच्छे लेखक तथा वक्ता थे।
साइमन कमीशन वापस जाओ, लाला लाजपतराय
मनुष्य अपने गुणों से आगे बढता है न कि दूसरों कि कृपा से | ~ लाला लाजपतराय
उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के मामले में निर्णय लेने के लिए साइमन कमिशन की नियुक्ति का विरोध किया और लाहौर के रेलवे स्टेशन पर एक बड़े विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। इसमें उन्होंने नारा दिया था ‘साइमन कमिशन गो बैक’। 30 अक्तूबर 1928 को उन पर लाठियों से बुरी तरह प्रहार किया गया था। उसी दिन शाम के वक्त लाहौर में एक मीटिंग के दौरान उन्होंने अपने भाषण में घोषणा की थी कि उनके शारीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के कफन में आखिरी कील साबित होगी। इन्हीं चोटों के चलते 17 नवम्बर 1928 को लाला जी का देहांत हो गया। लाला जी जैसी महान विभूतियों के कारण ही हमें 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।
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